कब है होली? होली (Holi Ka Parv 2021) ऐसा त्यौहार जिसका इंतजार आम जन मानस को सबसे ज्यादा रहता है, वैसे ही जैसे दीवाली का इंतजार व्यापारी वर्ग को और महीनो पहले से पूछा जाने लगता है कब है होली?
दीवाली का संगी होली हमारे देश के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है और अक्सर दीवाली से पहले ही लिया जाता हैं इसका नाम होली दीवाली संग में कहकर.
इस बार की होली भी हर बार की तरह ही विशेष है, वर्ष 2021 में कब है होली बारे में जानने के लिए जब पंचांग को क्रॉल किया गया तो हमें ज्ञात हुआ कि इस वर्ष होली का पर्व 29 मार्च दिन सोमवार को मनाया जाएगा. इस दिन होली के विशेष पर्व पर अद्भूत योग का निर्माण भी होता प्रतीत हो रहा है जो इस होली के महत्व व महात्म्य दोनों को बढ़ा देता है.
होली पर बनने वाला विशेष व अद्भूत फलदायी योग
पंचांग के कहें अनुसार होली का त्यौहार फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली प्रतिपदा तिथि को मनाई जाती है जो इस बार 29 मार्च 2021 दिन सोमवार को रहेगी.
इस बार उक्त दिन को ध्रुव योग निर्माण हो रहा है और चंद्रमा का कन्या राशि में गोचर हो रहा है . अन्य ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार रहेगी शनि और गुरु मकर राशि में विराजमान रहेंगे. मीन राशि में शुक्र और सूर्य रहेंगे, मंगल व राहु वृषभ राशि में विधमान रहेंगे, बुध कुंभ राशि और मोक्ष के कारण केतु वृश्चिक राशि में अपनी स्थिति दर्शा रहे हैं.
होली का त्यौहार है आया रंगों की फुहार है लाया | होली रंगों का पर्व है
दरअसल होली का त्यौहार रंगों का पर्व है और रंग भी ऐसे जो सारे गिले शिकवे भुलाकर घुलते है बाल्टियों में और चढ़ते है एक दूसरे के हृदय में या दिलों में, और ऐसा नहीं है कि कोई ऐसा करने की ज्यादा कोशिश करता है, बस हो जाता है क्योंकि कुदरत का मूढ़ ही कुछ ऐसा होता है कि खुद ब खुद मन करता है बीती ताही बिसारने को.
सनातनी मान्यताओं के अनुसार होली का पर्व दो दिनों का होता है, एक दिन होलिका दहन होता है जिसको होली कहते हैं, जो की मुहूर्त के हिसाब से होता है, दूसरे दिन होता है होली का हुल्लड़ जिसको कही रंग वाला दिन, धुलेंडी, धुरड्डी, धुरखेल या धूलिवंदन अनको नामों से जाना जाता है.
इसी दिन का लोग विशेषतः इंतजार करते है जब सुबह से ही बिना किसी मुहूर्त के लोग एक दूसरे से गले मिलकर, गालों पर अबीर गुलाल लगाकर होली की बधाई देते फिरते है.

कब है होली-रंगों में रंगे लोग-हर्षोल्लास के साथ होली मनाते हुए मस्तों की टोली जो सुबह ही शुरू कर देते है होली का हुल्लड़ (फोटोग्रापी साभार महेंदर गुप्ता मोदीनगर)
मानो एक ऐसा त्यौहार जिसमें बिना बुलाये होता है सबसे ज्यादा सत्कार, घरों में सभी प्रकार के पकवान बनाकर बिन बुलाएं मेहमानों का इंतजार किया जाता है.
होलिका दहन इस बार का शुभ मुहूर्त | Holi Ka Parv 2021
इस वर्ष बुराई का दहन (Holi Ka Parv 2021) दिनांक 28 मार्च दिन रविवार को किया जायेगा. होलिका दहन हमेशा की तरह ही पूर्णिमा तिथि को होगा. होलिका दहन का मुहूर्त शाम 6 बजकर 37 मिनट से लेकर शाम 8 बजकर 56 मिनट तक रहेगा.
होलिका दहन शास्त्रों में कथा अनुसार | Kab Hai Holi? | Holi Ka Parv 2021
शास्त्रों के अनुसार होली पर्व (Holi Ka Parv 2021) के दिन भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की थी, माना जाता है कि होलिका भक्त प्रह्लाद की बुआ थी जो प्रह्लाद को अग्नि में जलाकर भस्म कर देना चाहती थी, लेकिन विष्णु जी की लीला से भक्त प्रह्लाद के प्राणों की रक्षा हुई और होलिका स्वयं भस्म हो गई.
होली के त्यौहार से जुडी एक मुख्य कथा के अनुसार एक नगर में हिरण्यकश्यप नामक का राक्षस राज करता था। हिरण्यकश्यप सभी नगरवासियों से अपनी पूजा कराता था परन्तु उसका स्वयं का पुत्र उसकी यह बात नहीं मानता था क्योंकि वह भगवान विष्णु का उपासक था, जिसका नाम प्रह्लाद था.
हिरण्यकश्यप के बार बार समझाने पर भी प्रह्लाद ने जब उसकी बात नहीं मानी तो हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को ख़त्म करने की ठानी. उसने अपने सैनिकों को आदेश दिया कि प्रह्लाद को जंगल में सर्पों के बीच छोड़कर आयें, ताकि सर्प प्रह्लाद को डस लें व उसकी मृत्यु हो जाये. लेकिन सर्पों ने उसे नहीं डसा.
हिरण्यकश्यप ने भक्त प्रह्लाद को मारने के लिए भांति भांति की युक्तियां लगाई लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से उसकी कोई युक्ति काम न आयी. इस पर्व को राक्षसी ढुंढी, राधा कृष्ण के रास व कामदेव के पुनर्जन्म से भी जुड़ा हुआ दर्शाया गया है.
होलिका पर्व मनाने के भिन्न-भिन्न तरीके
सारे देश में होली का त्यौहार भिन्न-भिन्न तरीके से मनाया जाता है. लेकिन सबसे प्रसिद्ध व सबसे व्यापक रूप देखने को मिलता है ब्रज की होली का जो आज भी सारे विश्व के आकर्षण का बिंदु बनी हुई है और दूर दराज से लोग इस अनुभव को लेने आते हैं. ब्रज की होली को बरसाने की लट्ठमार होली के नाम से भी जाना जाता है.
इस होली में एक और जहाँ पुरुष तो महिलाओं पर रंगों का प्रयोग करते है वही दूसरी ओर महिलाएं इसका प्रति उत्तर लट्ठ मार कर देती है इसी लिए इस अद्भूत तरीके से खेली जाने वाली होली को लट्ठमार होली कहा जाता है.
मथुरा वृन्दावन में तो वसंत की शुरुवात होते ही होली की खुमारी छाने लगती है और महीनों तक इस पर्व का उल्लास मनाया जाता है. हरियाणा में भी कुछ अलग ही रंग देखने को मिलता है इस रंगीले पर्व का वहाँ इसको धुलंडी के नाम से जानते है व इस दिन भाभी अपने देवरों को अलग अलग तरीकों से सताती है ऐसा प्रचलन है.
इसी प्रकार सारे संसार में सभी देशों में फैली हिन्दू संस्कृति व धार्मिक संस्थाओ से जुड़े लोग फिर चाहे वह इस्कॉन मंदिर हो या विश्व प्रसिद्ध वृन्दावन का बांके बिहारी मंदिर सब अपने अपने ढंग से बड़े ही पारंपरिक तौर तरीकों व अत्यंत हर्षोल्लास के साथ इस होलिका पर्व को मनाते हैं.
होलिका पर्व की कुछ विशेष देहाती तैयारियां
गावों में होलिका दहन के लिए विशेष व अनोखी तैयारी की जाती है जो महीनों पहले शुरू हो जाती है. गाय या भैंस के गोबर से अलग अलग आकार की आकर्तियाँ बनायी जाती जिनके बीच में एक छेद करके जुट की रस्सी डालकर माला जैसा बना लेते हैं. इन मालाओं को विधिवत पूजा करके होलिका दहन में आहुत किया जाता हैं.
होली की कविता | होली का पर्व

होली का पर्व 2021- होली की कविता
होलिका पर्व मनाते समय क्या ध्यान रखने योग्य बाते हैं?
प्राचीन समय में होलिका पर्व बहुत ही प्राकर्तिक रंगों जैसे चन्दन व टेसू के फूल इत्यादि से बनाये रंगों से मनाया जाता था जो हमारी त्वचा के लिए भी लाभकारी होते थे, लेकिन आधुनिकता के इस युग में उन रंगों की जगह कुछ अप्राकर्तिक रासायनिक रंगों ने ले ली हैं जो हमारी सेहत को नुकसान पहुचाते है.
हमें प्राकर्तिक रंगों का ही इस्तेमाल करना चाहिए व होली का पर्व एक दूसरे के लिए बेहतर से बेहतर सोच के साथ मनाना चाहिए.
होलिका का त्यौहार व पकवान (खाना खजाना)
होली का त्यौहार ((Holi Ka Parv 2021)) हो और भारतीय व्यंजनों की बात न हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता, हमारे यहाँ तो सब त्योहारों को विशेष खाने के खजानों से जोड़ा गया है जो पूरे साल अनवरत व निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है.
ऐसे ही होली के त्यौहार ((Holi Ka Parv 2021)) पर भी कुछ विशेष व्यंजनों के बनाने का चलन है जिनके बिना कोई भी होली का निबंध अधूरा ही लगेगा. इसी लिए चाहे बूढ़े हों या बच्चे या हों जवान सभी को इंतजार रहता है होली के इस त्यौहार का.
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रास रचाए गोकुल में कन्हैया होली में बन जाए रंग रसिया सजाये रंगों का साज हर एक द्वारे आज भी एक गोपियाँ रंग लिए कान्हा की रह निहारें
धन्यवाद नवीन बंसल जी बहुत ही सुंदर ढंग से प्रशंसा करने के लिए, बहुत अच्छी पंक्तियाँ लिखी है आपने शानदार!
superb sir …thanks for telling holi date ….Mai to date he search kar rha tha …
आपने अच्छा किया बताकर होली कब है, गब्बर सिंह ने पूछ पूछ कर कान पका रखे थे, कब है होली,,😂😂😂😎🙏🎉🎉🎉
जी शुक्रिया राजीव शर्मा जी, बताने में देरी हुई उसके के लिए क्षमा का प्रार्थी हूँ 🙏
Holi a festival of 🤝bhaichara.Holi jiska intjar hum sab besabri se karte hai. Thanks Diwakar bhaiya Holi ki yaade taaza karne ke liye👏👏👍
Thanks to you Dear for such a beautiful comment
Good knowledge sharing
Thank You Mahendra Gupta Ji for your compliment !